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Thursday, 11 October 2018

आखिर क्या हुआ कि अब केवल महिलाओं के नाम पर नहीं होते तूफानों के नाम?

उड़ीसा के तटीय इलाकों में भयंकर चक्रवातीय तूफान 'तितली' #titli का कहर जारी है. यह बंगाल की खाड़ी के ऊपर बनी बहुत खतरनाक चक्रवातीय हवाओं के चलते आया है. आज इसके ओडिशा के गोपालपुर जिले और आंध्र प्रदेश के कलिंगपट्टनम के बीच के इलाके को बुरी तरह से प्रभावित करने के आसार हैं. इसी चक्रवात के प्रभाव के चलते बुधवार की शाम उड़ीसा के कई जिलों में भारी बरसात हुई. उड़ीसा सरकार ने सभी जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है. लेकिन इस साइक्लोन के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि इसका नाम 'पाकिस्तान' का दिया हुआ है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि भारत के पूर्वी तट से टकराने वाले इस तूफान का नाम पाकिस्तान ने कैसे दिया. लेकिन उससे पहले जानिए -







एक साइक्लोन, एक हरिकेन और टाइफून से कैसे अलग है?

अगर कोई भी चक्रवातीय तूफान अटलांटिक महासागर के क्षेत्र में आता है तो इसे 'हरिकेन' कहते हैं. वहीं अगर ऐसा ही चक्रवातीय तूफान प्रशांत महासागर के क्षेत्र में आए तो इसे 'टाइफून' कहा जाएगा. और अगर चक्रवातीय तूफान हिंद महासागर के क्षेत्र में आता है तो इसे 'साइक्लोन' कहा जाता है. अब आप समझ गए होंगे कि क्यों अमेरिका में 'हरिकेन', जापान में 'टाइफून' और भारत में 'साइक्लोन' आता है. और हर बार जब ऐसा कोई साइक्लोन हिंद महासागर के उत्तरी हिस्से से टकराता है, भारतीय मौसम विभाग इसे एक नाम देता है.

कैसे रखा जाता है इन तूफानों का नाम?



अटलांटिक क्षेत्र में 'हरिकेन' का नाम देने की परंपरा 1953 से ही जारी है जो मियामी के नेशनल हरिकेन सेंटर ने शुरू की थी. फिलहाल विश्व मौसम विभाग ने अलग-अलग मौसम के हिसाब से पूरी दुनिया को 9 हिस्सों में बांट रखा है. किसी तूफान का नाम क्या होगा, यह इसपर निर्भर करता है कि वह तूफान कहां पर यानी किस हिस्से में आ रहा है?

हिंद महासागर के उत्तरी हिस्सों में आने वाले इन साइक्लोन का ऐसा नाम रखे जाने का चलन साल 2000 में शुरू हुआ. इस काम के लिए 'विश्व मौसम विभाग' ने 'भारतीय मौसम विभाग' को चुना गया. ओमान से लेकर थाईलैंड तक आठ देशों को 8-8 नामों की एक लिस्ट भेजने को कहा गया. जिसे इन देशों ने 2004 तक भेज दिया. इसके बाद इन आठों देशों को अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों के हिसाब से रखा गया. क्रम ये बना था- बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड. फिर इन देशों के नीचे इनके दिए 8 नामों को लगा दिया गया. कुल 64 नाम हो गए थे. 'तितली' इनमें से 54वां है. अभी आगे के 10 तूफानों के नाम और बचे हैं.

इसी वजह से साइक्लोन 'वरदा' जो दिसंबर, 2016 में चेन्नई में आया था, उसे दिया हुआ नाम पाकिस्तान का था. अरबी में 'वरदा' का मतलब होता है लाल गुलाब. 2017 की शुरुआत में आया तूफान 'मारुथा' श्रीलंका का दिया नाम था. इसके बाद 'मोरा' नाम का तूफान आया, जिसका नाम थाईलैंड का दिया था. 2017 के आखिरी में आया तूफान 'ओकी', बांग्लादेश का दिया नाम था. अब जो 'तितली' नाम का तूफान भारत में आया है, यह भी भारत का दिया नाम नहीं है, पाकिस्तान ने इसका नाम सुझाया था.

ज्यादातर तूफानों को महिलाओं का नाम दिए जाने पर है लंबा विवाद




विश्व मौसम विभाग का यह तरीका भी विवादों में घिरा रहा है. 1960 में दुनिया के तमाम मौसम विभागों ने ऐसे चक्रवातीय तूफानों के नाम के तौर पर केवल महिलाओं के नामों का चयन किया था. इसके बाद नेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर विमेन सहित कई सारे महिला संगठनों ने इसका काफी विरोध किया था. एक दशक बाद इस तरह से नाम रखे जाने में काफी बदलाव आया.

किस हद तक पुरुषवादी मानसिकता से ग्रसित होकर कई बार नामकरण हुआ, इसका अंदाजा इससे लगाइए कि ‘एनसाइक्लोपीडिया ऑफ हरीकेन, टायफून एंड साइक्लोन’ में लिखा गया है, ‘तूफानों के अप्रत्याषित व्यवहार और चरित्र के कारण उनका नामकरण महिलाओं के नाम पर किया जाता रहा है.' नारीवादियों का तर्क है कि जो पैनल ऐसे नाम रखते हैं, उनमें मर्दों का वर्चस्व है. यही नहीं, हाल ही में इलिनॉय यूनिवर्सिटी के एक शोध में कहा गया कि महिला तूफान पुरुष तूफानों से तीन गुना खतरनाक होते हैं.

एक बार प्रखर नारीवादी रॉक्सी बोल्टन ने मौसम सेवा को एक आपत्तिनामा भेजकर पूछा था, ‘क्या महिलाएं जीवन और समाज के लिए नाशक हैं? क्या महिलाएं तूफान की तरह ही तबाही लाती हैं?’ उनकी आवाज में जब हजारों लोगों की आवाज मिली तो 1979 में पुरुषों के नाम से भी तूफानों के नाम रखे जाने लगे. पर अभी भी महिला तूफानों के नाम कहीं ज्यादा हैं.

तूफानों को लेकर जुड़े हैं और भी विवाद
2013 में श्रीलंका सरकार एक तूफान का नाम ‘महासेन’ रखकर खुद विवादों में घिर गई. महासेन श्रीलंका के इतिहास में समृद्धि और शांति लाने वाले राजा के तौर पर दर्ज हैं. देश के राष्ट्रवादियों ने पूछा कि ऐसे राजा के नाम पर किसी तूफान का नाम कैसे रखा जा सकता है? नाम लेने का फैसला वापस लेना पड़ा.

चलते-चलते
यह दिलचस्प तथ्य है कि अप्रत्याशित तबाही लाने वाले तूफान हमेशा के लिए या तो रिटायर हो जाते हैं या उनके नामों में बदलाव कर दिया जाता है. जिससे लोग विनाश की उस पीड़ा को दोबारा उसके नाम से महसूस न करें. 1954 में कहर बरपाने वाले हरीकेन 'कैरोल हेजेल' से लेकर 1960 में तबाही लाने वाले 'डोना'.1970 में विनाश का कारण बने 'सीलिया' सबका यही हश्र हुआ. दोबारा इन्हें तूफानों की सूची में जगह नहीं मिली. 2005 में कहर बरपाने वाले 'कैटरीना', 'रीटा' और 'विलमा' भी नामों के इतिहास में दफन हो गए. यही हाल 2015 में आए 'जुआकिन' और 'एरिक' तूफान का हुआ.


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